पढ़ने के लिए यूनिवर्सिटी-कॉलेज जाने की क्या जरूरत है? अब तो सबकुछ घर बैठे पढ़ सकते हैं। मैंने ऐसा ही किया। घर बैठकर वह सारी नॉलेज ले ली, जिस पर मुझे विदेशों में रहकर लाखों रुपए खर्च करने पड़ते।
यह मानना है कोटा के युवा इंजीनियर अंकित खंडेलवाल (30) का, जिनके पाठ्यक्रम संबंधी प्रयास को हाल में यूनेस्को ने मान्यता दी है। डेनमार्क से एमटेक अंकित ने स्पेन में हुए यूनेस्को के सेमिनार में पाठ्यक्रम संबंधी प्रयोग का ऑनलाइन प्रजेंटेशन दिया था। इसमें बताया था कि दुनिया की नामी यूनिवर्सिटीज ने क्या-क्या सामग्री ऑनलाइन उपलब्ध करा रखी है और इनमें से किस तरह एक स्टूडेंट अपने काम की चीजें चुनकर घर बैठे पढ़ सकता है। अंकित मूलत: बोरखेड़ा के रहने वाले हैं, उनके पिता राधेश्याम गुप्ता जिला उद्योग केन्द्र, कोटा में कार्यरत हैं।
खुद तेयार किए पाठ्यक्रम
अंकित ने एमबीए के पाठ्यक्रम तेयार किया हैं! उन्होंने हार्वर्ड, स्टेनफोर्ड, एम् ई टी जैसी नामी यूनिवर्सिटीज के निशुल्क ओपन पाठ्यक्रम और ओपन कोर्स वेयर (ओसिद्ब्लू) का इस्तेमाल किया ! यहा तक पहुचने के लिए कोउर्सेरा और एदेक्स के प्लेटफार्म की मदद ली! जरुरत के अनुसार कोर्स ढूंढे और नॉलेज ली ! कई ऐसी वेबसाइट की भी सहयता ली, जो निशुल्क थी! इस तरह उन्होंने दुनिया की मशहूर यूनिवर्सिटीज से अंतर्राष्ट्रीय प्रबंध परियोजना के बारें मैं मुफ्त मैं सब जान लिया! यूनेस्को द्वारा अग्रीमेंट के बाद उनका प्रेजेंटेशन यू ट्यूब पर भी अपलोड कर दिया गया हैं!
22 माह तक चली खोज : 22 माह की अवधि में अंकित ने 20 से भी अधिक एमआईटी, बोस्टन अन्य यूनिवर्सिटीज के पाठ्यक्रमों की सामग्री पढ़ी। जिसमें व्यापार वार्ता, विलय एवं अधिग्रहण, वित्तीय लेखांकन आदि शामिल है।
वैश्विक स्तर पर काम करने वाले लोगों के साथ खुद को वैश्विक बनने की जरूरत थी, लिहाजा रूस, चीन, जापान और मध्य एशिया के ओसीडब्ल्यू पाठ्यक्रम पढ़ना शुरू किए। उन्होंने कई सामाजिक व्यापारिक समस्याएं सुलझाने में अपनी इस नॉलेज की मदद ली, जिसे यूनेस्को के साथ साझा किया। इन दिनों अंकित बेंगलुरु में इस विषय पर एक किताब लिख रहे हैं।