तिथि: १५- ०३- २०१५
अंजुमन की महफ़िल में आप सबका स्वागत किया जाता हैं
एक ज़माने में हम कोटा के दशहरे मेले में कवि सम्मेलन में जाया करते थे ! काफी सालो बाद उसकी पुर्नाव्रती होती दिखी! मेरे लिए यह अंजुमन में यह पहला अवसर था , कुछ अच्छे कवियों और शायरी से रूबरू होने का !
तो पेश अंजुमन की कहानी मेरी जुबानी .
मंच का संचालन संदीप जी ने किया! उन्होंने बताया कि किस तरह ५ साल पहले एक कमरे और २ जनो से शुरू हुआ अंजुमन का सफ़र अब काफी अच्छे मुकाम तक पहुँच गया हैं! सबसे पहले मोहित जी को मंच पर आमंत्रित किया गया ! मोहित जी ने बड़े ही रोचक अंदाज में नजमो के उपर नज्म लिखने की बड़ी अच्छी कोशिश की हैं ! यह बहुत ही एक नया अनुभव था, मेरे लिए तो!
इसके बाद आये कवि नीरज ने भारतीय युवाओ की बड़ी ही रोचक तस्वीर पेश की! उनके अनुसार, भारत में सभी पहले इंजीनियरिंग करते हैं, उसके पश्चात पता करते हैं की वास्तव में वह बनना क्या चाहते हैं ! उन्होंने बड़े ही रोचक ढंग से मेहनताने को लेकर होने वाली कश्मकश को शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत किया! शमीम हयात साहेब ने प्यार के बारे मैं और विस्तार से बताया !
कार्यक्रम में संदीप जी ने समय समय पर अपनी तुकबंदियों से अच्छा समां बाँध रखा था!
अभिनव यादव जी हम सभी को चिली देश के अत्ताकामा मरुस्थल में ले गए और वहा पर प्यार की एक नई परिभाषा से हम सभी का परिचय करवाया! उनकी रचनाओ में जूतियों पर लिखी नज्म और फ्लाईओवर के नीचें का बाजार भी शामिल था! अतुल जी ने अपनी कविता कंचे के माध्यम से हम सभी को अपने बचपन से फिर रूबरू करवाया! क्या दिन थे ? वो भी जब हम भी पूरी दुनिया से बेखबर होकर अपनी ही मस्ती मैं मसरूफ रहा करते थे!
इसके बाद आये कवि सौरभ ने अंजुमन की हिंदी कविताओं के संकलन और उसके प्रकाशन के बारें मैं सभी को बताया! उन्होंने फिर अपनी कविता से वर्तनी की होने वाली गलतिया और ऐसी गलतियों का जंगली जीव जन्तुओ से तुलना करते हुए एक बहुत ही व्यंगात्क्मक कविता से सभी को हसने पैर मजबूर कर दिया!
मंच पर आई कवियत्री शिवांगी शुक्ला ने जिन्दगी में हमेशा सकरात्मक सोच रखने से मिली जुली कविता प्रस्तुत की!इस कविता को आप इस लिंक से उनके ब्लॉग पर पड़ सकते हैं| उनकी अन्य कविता में हम सभी को जन्म देने वाली माँ के बारे मैं बहुत ही खूबसूरती से चित्रण किया गया हैं!
जनाब हैदर ने सप्ताह और जूनून नाम से कवितायेँ प्रस्तुत की! मैं यहाँ पर जूनून के बारे में थोडा और बताना चाहूँगा! जूनून हम सभी के अंदर होता हैं कही पर छुपा हुआ! किसी दिन अचानक से वो बाहर आ जाता हैं ! २ पंक्तियाँ उनके पाठ से, ‘रब ने बनाया हैं तो वही हिसाब लेगा, लोग हस्ते हैं तो हसने दे’ . बिलकुल सही बात कही इन्होने, अगर दुनिया से डरे तो जूनून किस काम का? उन्ही की लिखी हुइ कविता ‘क्यूँ नही?’ ने काफी सारे सवाल पूछे!
कवियत्री रजनी मिश्रा ने एक माँ की नाराजगी और गुस्से का बखूबी बखान किया! उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से जिंदगी का असली मतलब जाने की बखूबी वकालत की! उन्ही के शबदो में, ‘जिस कफ़न में लिपटे हैं खवाब उस्सी को हम जिंदगी कहते हैं?’
अमिन हक साहब ने अपनी कविताओं से हमारे बचपन से वृदावस्था का खूबसूरत चित्रण किया! अगले कवि मोहन पाण्डेय जी प्यार और ग्रामीण जीवन को प्रस्तुत किया! उनकी कविता ‘दुशासन के दुर्विचार’ ने एक एतिहासिक घटना का नवीन रुपान्तरण प्रस्तुत किया!
कवियत्री सुरभि ने अपनी जिंदगी से जुडी कुछ घटनाओ से हम सभी को परिचित करवाया. इनमे उनके विवाह और पिता से बिछड़ने का गम और साथ ही साथ पति से झगडा होने के बाद की मनोदशा का संजीव वर्णन शामिल था! परंतु मुझे उनकी कविता, जिसमे उन्होंने सब कुछ त्याग कर अपने आपको भूलने वाली महिलाओं का जिक्र किया, सबसे अच्छी लगी!
इसके बाद हमारे संचालक संदीप जी अपना काव्य पाठ श्रोताओं से साझा किया! अगले कवि सिद्धार्थ ने दुखी इंसानों के बारें मैं थोडा सा बताने की कोशिश की! उनके अनुसार कैसे यह अपने बारें मैं नहीं सोचते हैं! बिक्रम जी ने महंगाई को ले करके एक अलग ही नजरिया पेश किया! उनकी कविता मैं एक ऐसे इंसान का जिक्र किया गया हैं, जिसे महंगाई से कोई समस्या नहीं हैं!
इस महफ़िल के आखिरी कवि अभिषेक जी ने एक बहुत ही तुल्नातक तस्वीर पेश की, जब प्यार था और जब प्यार नहीं था! उनकी अन्य रचनाओ मैं प्यार और थकान को एक दुस्सरे से जोड़ने की एक अच्छी कोशिश की गयी हैं!
चलते चलते
आखिरी मैं सिर्फ इतना कहना चाहूँगा की अगर कोई गलती हो गयी हो, इस महफ़िल के वर्णन में तो माफ़ी चाहता हूँ! अगली बार शायद मैं भी कुछ काव्य पाठ करू और इस अंजुमन की महफ़िल को और भी रंगीन करू!
Link:
– Event Page: Anjuman, Ek Sham Ghazlon ke Naam
– Facebook Page: Anjuman-Hindu Urdu Poetry Club, Bangalore
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